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motivational story in hindi

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 motivational story in hindi inspirational stories in hindi जो अपने जीवन-रथ की डोर भगवान के हाथ में सौंप देते हैं उनकी लौकिक तथा परमार्थिक विजय निश्चित है Motivational Mahabharat Story  महाभारत का युद्ध निश्चित हो गया था दोनों पक्ष अपने-अपने सहायकों को एकत्र करने में लग गए थे इसी क्रम में एक दिन दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण के पास युद्ध में सहायता मांगने हेतु पहुंचे . जो अपने जीवन-रथ की डोर भगवान के हाथ में सौंप देते हैं उनकी लौकिक तथा परमार्थिक विजय निश्चित है Motivational Mahabharat Story  श्री कृष्ण उस समय विश्राम कर रहे थे. दुर्योधन उनकी सैया के सिरहाने बैठ गए. तभी अर्जुन भी इसी उद्देश्य से श्री कृष्ण के पास पहुंचे. वह उन्हें सोया हुआ देखकर उनके चरणों के पास खड़े हो गए. जागने पर श्री कृष्ण ने अपने सम्मुख अर्जुन को देखा और उनके आने का उद्देश्य पूछा. दुर्योधन तुरंत बोले - ‘  वासुदेव! पहले मैं आया हूं .’  तब जनार्दन ने पीछे देख कर प्रयोजन से आने का कारण पूछा. दुर्योधन ने और फिर अर्जुन ने दोनों ने अपने आने का उद्देश्य श्रीकृष्ण को बताया. इस पर श्री कृष्ण बोले-’  मैं इस युद्ध में शस्

गायत्री मंत्र क्या है ? what is Gaytri Mantra Hindi

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गायत्री मंत्र क्या है ? what is Gaytri Mantra Hindi  पहली बार यदि हम किसी चीज को देखें तो वह दिखने में छोटी दिखाई पड़ती है, पर यदि थोड़ा समय गुजरने दिया जाए तो वह छोटी सी चीज एक वृहद प्रयास में एक बड़े आयोजन में बदल जाती है। मात्र  समय को गुजरने देने की आवश्यकता। गायत्री मंत्र क्या है ? what is Gaytri Mantra Hindi पहली बार देखने पर बीज छोटा सा दिखता है , पर जैसे ही उस बीज को फलने फूलने का विकसित होने का अवसर मिलता है, समय मिलता है तो वही बीज  देखते देखते एक विशाल वृक्ष में बदल जाता है। ईट एक छोटी सी होती है पर जैसे ही उस ईट को गारे से जुड़ने का अवसर मिलता है वैसे ही वह ईट एक इमारत में बदल जाती है। इंसान का स्वयं का विकास एक छोटी सी कोशिका से होता है और वह छोटी सी कोशिका जब RNA, DNA के साथ जुड़ती है, तो एक पूरे इंसान में बदल जाती है । यह विश्व ब्रम्हांड भी कभी एक छोटे से अणु से ही प्रारंभ हुआ होगा । शास्त्रों में कहा भी गया है " यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे "  विस्तृत होते-होते एक छोटा सा अणु, एक छोटा सा पिंड एक विशाल ब्रह्मांड में बदल जाता ।  है ऐसा नहीं है कि यह बाते

जो अपने जीवन-रथ की डोर भगवान के हाथ में सौंप देते हैं उनकी लौकिक तथा परमार्थिक विजय निश्चित है Motivational Mahabharat Story

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जो अपने जीवन-रथ की डोर भगवान के हाथ में सौंप देते हैं उनकी लौकिक तथा परमार्थिक विजय निश्चित है Motivational Mahabharat Story   महाभारत का युद्ध निश्चित हो गया था दोनों पक्ष अपने-अपने सहायकों को एकत्र करने में लग गए थे इसी क्रम में एक दिन दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण के पास युद्ध में सहायता मांगने हेतु पहुंचे . जो अपने जीवन-रथ की डोर भगवान के हाथ में सौंप देते हैं उनकी लौकिक तथा परमार्थिक विजय निश्चित है Motivational Mahabharat Story  श्री कृष्ण उस समय विश्राम कर रहे थे. दुर्योधन उनकी सैया के सिरहाने बैठ गए. तभी अर्जुन भी इसी उद्देश्य से श्री कृष्ण के पास पहुंचे. वह उन्हें सोया हुआ देखकर उनके चरणों के पास खड़े हो गए. जागने पर श्री कृष्ण ने अपने सम्मुख अर्जुन को देखा और उनके आने का उद्देश्य पूछा. दुर्योधन तुरंत बोले - ‘  वासुदेव! पहले मैं आया हूं .’  तब जनार्दन ने पीछे देख कर प्रयोजन से आने का कारण पूछा. दुर्योधन ने और फिर अर्जुन ने दोनों ने अपने आने का उद्देश्य श्रीकृष्ण को बताया. इस पर श्री कृष्ण बोले-’  मैं इस युद्ध में शस्त्र नहीं उठाऊंगा. एक   तरफ  मैं शस्त्र वहीं रहूंगा और दू